अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में सरस और क्राफ्ट मेले में ब्रह्मïसरोवर के तट पर हस्त शिल्पकला ने इस भव्य महोत्सव की छठा में रंग भर दिए है। दूसरे राज्यों से आए शिल्पकारों ने अपनी हस्त कला से मेले में आने वाले पर्यटकों के मन को मोह लिया है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आए हुए पर्यटक जमकर खरीददारी कर रहे है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकारों की कला ने महोत्सव में आए हुए सभी लोगों को आश्चार्य चकित कर दिया है। इस महोत्सव में सुंदर-सुंदर हाथ से बनी हुई आकृतियों के सामान को देखने के लिए हजारों पर्यटक आ रहे है। ऐेसे ही नाजिर मुज्जफर शिल्पकार ने बताया कि वे भोपाल से आए है और अपने साथ वे रेगजीन व चमडे से बनी जयपुरी जुती लेकर आए। वे हर वर्ष अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव में आते है। उन्होंने अपना यह सामान स्टॉल नम्बर 276 पर लगाया है तथा यह जयपुरी जुती रेगजीन की सीट से तैयार की जाती है और यह जुती पानी में भी पहनी जा सकती है। उन्होंने बताया कि इस तरह की जुती सरस मेले में आए हुए पर्यटकों को बहुत पसंद आ रही है। इस जुती को बनाने के लिए 20 से 30 मिनट लगते है और एक दिन में लगभग 500 जुती के जोड़े तैयार कर लेते है। हाथ से बनी सुंदर-सुंदर जुती मेले में आए हुए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है तथा मेले में आने वाले पर्यटक इनकी जमकर खरीददारी कर रहे है।