हरियाणा की धर्म नगरी कहे जाने वाले कुरुक्षेत्र के ब्रहमसरोवर पर 24 दिसंबर 2023 तक चलने वाला अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ढोल-नगाड़ों, बीन-बांसुरी जैसे पारम्परिक वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो चुका है। देश के विभिन्न प्रांतों से आए कलाकारों के द्वारा दी जा रही प्रस्तुति जहां आकर्षण का केंद्र बन रही है, वहीं दूसरी ओर कलाकारों की मनमोहक अदाओं ने पर्यटकों का दिल जीत लिया है। इसके साथ-साथ खान पान की विभिन्न स्टॉल आकर्षण का केंद्र बन रही है।
महोत्सव में अबकी बार गीता महोत्सव में मां वैष्णो देवी दरबार और केदारनाथ मंदिर दर्शकों के लिए उत्साह का केंद्र बना हुआ है। अलग अलग राज्यों से आए हुए शिल्पकारों ने अपनी कला के माध्यम से सभी का मन मोह लिया है। जिसमें किशन गढ़ से आए हुए हस्तकला पेंटर हो या बिहार की मधुबनी चित्रकारी, सभी वस्तुएं अपने आप में अदभुत है। हर शिल्पकार की अपनी एक कला है, वो कला जो भारत देश के गौरवशाली इतिहास को बयान करती है। चाहे वो बनारसी साड़ी हो या तेलंगाना का देसी खानपान, मुंबई की भेल हो या राजस्थान के बूंदी से आए कलाकार, हर कोई अपनी कला में माहिर है। भारत की इस विरासत, शिल्पकारी, कलाकारी और संस्कृति को देखने के लिए देश-विदेश के लाखों कलाकार हजारों किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के उपरांत अंतर्राष्टï्रीय गीता महोत्सव में पहुंचते है।