अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव में टैराकोटा की मिट्टी से बना सजावट का सामान महोत्सव मेें आए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इस टैराकोटा की मिट्टïी से बना यह सामान महोत्सव में आए पर्यटकों को बहुत ही पसंद आ रहा है और इस शिल्पकार के हाथों से बनी कारागिरी के पर्यटक कायल हो चुके है। चंडीगढ से आए मामचंद ने बताया कि वे हर वर्ष अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले कई वर्षों से टैराकोटा की मिट्टïी से बना सामान लेकर आते है। स्टाल नम्बर 115 पर उन्होंने अपना यह सामान लगाया हुआ है। वे इस सामान को टैराकोटा की मिट्टी से बनाते है तथा इस टैराकोटा की मिट्टïी को जमीन से लगभग 20 फीट सेे निकाला जाता है और पहले इस मिटट्ी को अच्छी तरह छानने के बाद चॉक पर सजावट के सामान को सुंदर-सुंदर हस्त शिल्प रूप देते है। इसके बाद इसे कुछ समय के लिए पकने उपरांत इस पर फिनिशिंग का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस सामान को हाथ से अच्छी पॉलिश करके इस सामान को सुदंर-सुंदर रूप दिया जाता है जो कि यहां पर आने वाले पर्यटकों को बहुत लुभा रहा है। उनकी हाथ की इस तरह की कारागिरी से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है। वे इस महोत्सव में टैराकोटा की मिट्टïी से बने फलावर पोर्ट, सुराही,कॉर्नर,पक्षियों के घोसलें, टैराकोटा पोर्ट, टेबल पोर्ट इत्यादि का सामान लेकर आए है। इस सामान को बनाने के लिए उनके दोनों बेटे तथा वे खुद इस कार्य को करते है।