अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकारों द्वारा लोक नृत्य की प्रस्तुति देकर देश की संस्कृति के अहम पहलुओं से रुबरु करवाने का काम किया जा रहा है। इन लोक कलाकारों ने भगवान की आराधना के साथ-साथ विभिन्न त्योहारों पर गाए जाने वाले गीतों और नृत्य के दौरान महिलाओं के मन में उठने वाली उमंग को दर्शाने का काम किया गया। इस लोक नृत्य को देखकर कुरुक्षेत्र उत्सव में आए पर्यटक गदगद हो गए।
महोत्सव के आठवें दिन शनिवार को ब्रह्मसरोवर के विभिन्न घाटों पर पर्यटकों का मनोरंजन करने के लिए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के कलाकारों ने अपना मंच जमाया है। राजस्थान से इस ग्रुप के कलाकार विशेष तौर पर कच्ची घोड़ी लोक नृत्य को लेकर आए इन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर सभी पर्यटकों का मन अपनी तरफ आकर्षित कर लिया। कलाकारों ने परंपरागत वेशभूषा और हाथों में राजस्थानी परम्परा के अनुसार चूड़ा पहन कर जबरदस्त प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति को देखकर दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ-साथ कलाकारों ने अपने लोक नृत्य के माध्यम से तीज त्योहारों के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले नृत्य की प्रस्तुत देकर सबको भार विभोर कर दिया। जैसे ही इन कलाकारों की प्रस्तुति समाप्त होती है तो ब्रह्मसरोवर के घाट तालियों से गूंज उठते है। इस प्रस्तुति के बाद इस उत्सव में अन्य राज्यों के कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति दी।
हिमाचल के लोक कलाकारों ने सिरमौरी नाटी नृत्य के माध्यम से पर्यटकों का खूब मनोरंजन किया और हिमाचल का ग्रामीण जीवन स्तर भी दर्शाने का प्रयास किया। एनजेडसीसी के अधिकारी महिन्द्र ने बताया कि विभिन्न प्रदेशों के कलाकार अपनी प्रस्तुती दे रहे है, यह कलाकार 6 दिसंबर तक अपनी प्रस्तुति देंगे। ये कलाकार इस महोत्सव में सालों से लोगों का मनोरंजन करने का काम कर रहे हैं।








