अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के तट पर पर्यटकों के मनोरंजन के लिए तरह-तरह के लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर कई ढोल-नगाड़े के साथ-साथ डेरू वाले संगीत ने पर्यटकों को नाचने पर मजबूर कर रहे है। गौरतलब है कि 7 दिसंबर से ही शिल्प और सरस मेले की शुरुआत के साथ ही यह कलाकार महोत्सव में पहुंच गए थे और लगातार अपने-अपने राज्यों के लोक नृत्यों के माध्यम से पर्यटकों का मनोरंजन करने का काम कर रहे है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 24 दिसंबर तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट और सरस मेले में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए और इस महोत्सव को भव्य स्वरूप देने के लिए कई तरह के लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जा रहे है। इस महोत्सव में जहां एक और हरियाणा और पंजाब की लोक संस्कृति देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर जम्मू एंड कश्मीर, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, दिल्ली, लद्दाख सहित कई राज्यों की अदभुत लोक संस्कृति देखने को मिल रही है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में आने वाले पर्यटक इन राज्यों की अदभुत और संगीतमय लोक संस्कृति को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए है।

