20 नवंबर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 19 नवंबर से लगे सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्प कलाकारों की हाथों से बनी दिल को छू लेने वाली अनोखी शिल्पकला ने पर्यटकों के मन को मोह लिया है। इस अनोखी शिल्पकला का जादू ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर देखने को मिल रहा है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दूसरे दिन सरस और क्राफ्ट मेले में आए पर्यटकों को ऐसी अनोखी शिल्पकला को देखने का अवसर प्राप्त हो रहा है तथा पर्यटकों के इतने उत्साह और जोश को देखने के बाद इस शिल्पकला ने ब्रह्मसरोवर के पावन तट की फिजा का रंग बदलने का काम किया है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पानीपत से आए संदीप कुमार ने बताया कि वे हर बार इस महोत्सव में आते है तथा अपने साथ हाथों से बने चिकनी मिट्टी के उर्ली, तुलसी पोर्ट, मिट्टी से बने हुए सुंदर-सुंदर गुड़िया, झूमर, हैंगिंग दिया व भगवान की प्रतिमाएं लेकर आए है। उन्होंने बताया कि यह सभी सज्जा सजावट का सामान वे हाथ से बनाते है तथा पहले चिकनी मिट्टी को छाना जाता है और उसके बाद उसे चॉक पर घुमा कर सुंदर-सुंदर आकृतियों में ढाला जाता है। इस हस्तशिल्प कला में कम से कम 4 से 8 दिन लगते है तथा इनकी कीमत 50 रुपए से 500 रुपए तक की है।
उन्होंने कहा कि वे इस ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर हर वर्ष लगने वाले सरस और क्राफ्ट मेले में हर वर्ष आते है पहले उनके दादा यह शिल्पकला का प्रदर्शन करते थे उसके बाद उनके पिता तथा अब वे इस दिल को छू लेने वाली शिल्पकला की प्रदर्शनी लगा रहे है। ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 19 नवंबर से 6 दिसंबर तक लगने वाले इस सरस और क्राफ्ट मेले में दूर दराज से आए शिल्पकारों ने इस फिजा को बदलने का काम किया है तथा पर्यटक जमकर खरीदारी कर रहे है।

