अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 के दौरान ब्रह्म सरोवर के पावन तट पर अनेक कलाकारों और शिल्पकारों द्वारा अपनी कला लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसी ही एक कला, शोलापिठ को पश्चिम बंगाल के भरद्वान जिला से आए स्टॉल न. 158 के विक्रेता बॉबी मालाकार प्रस्तुत कर रहें है।
शिल्पकार बॉबी मालाकार ने बताया कि उनके परिवार का यह पुश्तैनी काम है और इन्होंने 3 बार प्रेसिडेंट अवॉर्ड प्राप्त किए हैं। इस शैली मे प्रयुक्त शोला लकड़ी को झील से निकाला जाता हैं और भिन्न भिन्न आकृतियां बनाने मे प्रयोग किया जाता हैं। साथ ही एक पूरे आकार की आकृति बनाने में लगभग 6 महीने लगते हैं, जबकि छोटे आकार की आकृति 7-8 दिन में तैयार हो जाती है। आकृति को तैयार करते समय लकड़ी के अंदर के हिस्से को सुविधा से काटा और नकारा जाता है,जिसके बाद एक आकर्षक और सुन्दर आकृति तैयार होती है। यह कला बंगाल ही नही बल्कि भारत के बहुत से हिस्सों में बहुत प्रसिद्ध है। बॉबी मालाकार ने ये भी बताया कि यह बंगाल की प्राचीन कलाओं मे से एक है।
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा तैयार की गई इन खास आकृतियों की कीमत 300 से लेकर 50 हजार तक हैं, जो आकार और जटिलता के आधार पर निर्भर करती है। इसके साथ ही शोला लकड़ी से बने कृत्रिम फूलों का निर्माण भी किया जाता है, जिसमें 1 फूल बनाने में 1.30 घंटे का समय लगता है। इस बार अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहली बार शामिल होने का यह अनूठा अनुभव है और वह अपनी पत्नी को भी साथ लाए है जो उनको स्टाल पर काम काज मे समान रूप से हाथ बटाती हैं। उन्होंने बताया कि आंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव मे आकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है।