International Gita Mahotsav

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बतौर विशिष्ट अतिथि दिया संबोधन

हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में बतौर विशिष्ट अपना संबोधन देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा से संसार को लगभग साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व धर्म और कर्म का ऐसा संदेश मिला, जिसकी प्रासंगिकता कम नहीं हुई बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रही है। कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संदेश देते हुए यही कहा कि इंसान के जीवन में आचरण, ज्ञान व आस्था का उचित संतुलन ही धर्म है और आपका कर्म है। आज गीता महोत्सव  में हरियाणा के  राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी की गरिमामयी उपस्थिति रही।  धनखड़ ने कहा कि भारतीय धर्म संस्कृति में ज्ञान और धर्म एक साथ चलते हैं जबकि दुनिया की किसी संस्कृति या धर्म में देखने को नहीं मिलती। गीता में कर्म करने के साथ-साथ आचरण, ज्ञान व आस्था के उचित संतुलन की बात कही है। भारतीय परंपरा में इन सभी के संतुलन के साथ जीवन में निरंतर कर्म करने के साथ-साथ आगे बढने की बात कही गई है। धनखड़ ने कहा कि चरैवति-चरैवति की परंपरा में अपने विवेक के साथ आगे बढऩे का श्रेष्ठ ज्ञान भारतीय धर्म-संस्कृति में ही निहित है। गीता के ज्ञान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यही ज्ञान दिया कि उठ और युद्ध कर। आज हर कोई अपने क्षेत्र में अर्जुन है और कब कौन सा व्यवहार करना है इस बात का जिक्र गीता में मिलता है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस काम के लिए जो बना है उसे वह अपना श्रेष्ठï देते हुए  करना चाहिए। जीवन में बड़ा ध्येय रखते हुए हमें किसी स्तर पर रुकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में हमारी सरकार बनने के उपरांत अंतर्राष्ट्रीय व जिला स्तरीय गीता महोत्सव की परंपरा सबसे अच्छा कार्य है। इस कार्यक्रम के जरिए कर्म पर फोकस करने की सीख मिलती है अगर कर्म अच्छा होगा तो स्वत: परिणाम भी अच्छा मिलेगा। उन्होंने संत कबीर, गुरू गोविंद सिंह व महात्मा बुद्ध का उदाहरण रखते हुए भारतीय धर्म दर्शन के सौंदर्य से कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह को अवगत कराया। गीता को समझना है तो श्री कृष्ण के  जीवन दर्शन को समझना होगा। उन्होंने कहा कि अपने हरियाणा और देश को महान बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें। धर्म, संस्कार, संस्कृति के विकास के लिए सभी को अपना विराट अवतार धारण करना होगा ताकि हम अपने- अपने क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर लेकर जा सकें। अपना लक्ष्य तय कर जीवन में आगे बढ़ें, सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।

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